सोंड्याटोला उपसा सिंचाई प्रकल्प की सुरक्षा अधर में

 



सोंड्याटोला उपसा सिंचाई प्रकल्प , सोंड्या

सिहोरा:- महत्वाकांक्षी सिंचाई प्रकल्प की सुरक्षा दो माह से

सवालों के घेरे में अटकी  है.  इस प्रकल्प को नजरअंदाज करने से असामाजिक तत्वों का बोलबाला प्रकल्प स्थल पर है.  110 करोड़ के प्रकल्प को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार के जल

संसाधन विभाग के पास निधि नहीं होने की जानकारी मिली है.  सुरक्षा रक्षकों की भर्ती टेंडर प्रक्रिया से की जाती है.  

सोंड्याटोला उपसा  सिहोरा-बपेरा परिसर में महत्वकांक्षी

सोंड्याटोला उपसा सिंचाई प्रकल्प

10 करोड़ रुपए खर्च कर बावनथड़ी नदी पर निर्माणकार्य किया गया है.  नदी किनारे से उपसा में गया पानी चांदपुर

जलाशय में संग्रहित किया जाता है.  सातपुड़ा पर्वत  के घने जंगल

में स्थित इस प्रकल्प को सुरक्षा प्रदान की जा रही है.  इस प्रकल्प को 24 घंटे सुरक्षा गार्ड की निगरानी में रख जा रहा

है.  लेकिन  अक्तुम्बर माह में सुरक्षा गार्ड नियुक्ति का टेंडर समाप्त हों गया है.  इस प्रकल्प स्थल में 9 पद रिक्त हैं.  घने

जंगल में स्थित सोंड्याटोला फ्रकल्प में सुरक्षा गाडई नहीं है.  विगत दो माह से प्रकल्प स्थल की सुरक्षा असुरक्षित है.  प्रकल्प स्थल में सुरक्षा गार्ड की

नियक्ति निविदा प्रक्रिया से कर रहे

हैं.  लेकिन राशि के अभाव में निविदा प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी.  दिसंबर माह में सुरक्षा गार्ड की नियुक्त की ज ही है.  निविदा प्रक्रिया नहीं होने से सुरक्षा

गार्ड की नि्यक्ति में गड़वड़ी शुरू हो गईं है.  मध्यप्रदेश राज्य की सीमा पर स्थित इस प्रकल्प में सुरक्षा गा्ड न होने से असमाजिक तत्वों का संचार शुरू हुआ है. प्रकल्प स्थल रात में पार्टी का   

केंद्र बना  है.  प्रकल्प में दिन-रात

कोई सुरक्षा गार्ड नहीं होने से प्रकल्प की सामग्री खतरे में है.  प्रकल्प में कई महंगी सामग्री बिखरी पड़ी है. पानी उपसा करने वाले करोड़ो के कीमती

पंप हैं.  आपरेटर रूम में बैटरियां है. महत्वपूर्ण सामग्री होने के बावजूद उनकी सुरक्षा के उपाय नहीं किये जा रहे हैं.  सिंचाई विभाग के नियंत्रणाधीन

प्रकल्प में सुरक्षा गार्ड नियुक्ति के लिये निधि नहीं होने से सुरक्षा को अधर मे रख दिया है.  नवंबर माह से सिंचाई विभाग की प्रणाली से वरिष्ठों को अवगत कराया है.  लेकिन सुरक्षा गार्ड के नियुक्ति

को हरी झंडी नहीं दी गई है.  




ब्रिटिशकालीन नहरें हुयी जर्जर



14 हजार हेक्टेयर खेतों को सिंचित करने के लिए चांदपुर जलाशय का पानी खरीफ

और ग्रिष्मकालीन धान फसल के लिये छोड़ा जात है.  लेकिन जलाशय बांध और नहरें

ब्रिटिशकालीन होने से जर्जर हो चुके है.  इस नहर में काफी जुड़पी पेड़ पौदे उगने से जल प्रवाह प्रभावित होते दिखायी दे रहे  है.  आउटलेट, सयरन, सीमेंट, विस्तारीकरण, मुरुम

व झुड़पी काम बड़ चुके है.  जिससे पानी छोड़ते समय नहर उखड़ रही है.




संपादक चंद्रशेखर भोयर






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