पाइल्स/बवासीर/मूळव्याध
बवासीर के लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक उपाय
मुळव्याध (पाइल्स / बवासीर) एक सामान्य लेकिन तकलीफदेह समस्या है। इसे आयुर्वेद में "अर्श" कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है:
अंतःबाह्य मुळव्याध (Internal Piles) – जिसमें गांठ अंदर होती है और कभी-कभी खून आता है।
बाह्य मुळव्याध (External Piles) – जिसमें मस्से बाहर दिखाई देते हैं और दर्द अधिक होता है।
🔍 लक्षण (Symptoms):
1) मल त्याग के समय खून आना
2) दर्द और जलन (खासतौर पर बैठते समय)
3) गुदा के आसपास सूजन या मस्से निकल आना
4) जलन और खुजली
5) मल पूरी तरह साफ न होना
6) मल त्याग के बाद भारीपन लगना
⚠️ कारण (Causes):
कब्ज की पुरानी समस्या
बार-बार ज्यादा जोर लगाकर शौच करना
मसालेदार, तैलीय, भारी भोजन
लंबे समय तक बैठे रहना
गर्भावस्था, मोटापा या अधिक वजन
कम पानी पीना और फाइबर की कमी
शारीरिक श्रम की कमी
🌿 आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic Remedies):
1. त्रिफला चूर्ण
रात को सोते समय 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
कब्ज दूर करेगा और मल साफ रहेगा।
2. आरोग्यवर्धिनी वटी और कायाकल्प वटी
दिन में 2 बार डॉक्टर की सलाह से सेवन करें।
ये पाचन सुधारती है और रक्त साफ करती है।
3. अर्शकुठार रस / काँचनार गुग्गुलु
मुळव्याध की मस्सों को सूखाने में मदद करता है।
4. नीम और हल्दी का लेप
बाहरी मस्सों पर लगाने से सूजन कम होती है।
5. अभयारिष्ट / अर्शोग्रहणी वटी
कब्ज दूर करने के लिए प्रभावी आयुर्वेदिक सिरप/वटी।
आयुर्वेदिक दवा
1) पाइल्स सायरप
2) पाइल्स चूर्ण
3) पिलो x मलम
4) लीवोस्टार चूर्ण
ऊपर की दवा काफी असरदार है, इस दवा से आपको मात्र एक से पांच दिन के अंदर Result दिखना शुरुवात हो जाता है। पूरा कोर्स करने पर इस समस्या को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है.
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🍲 घरेलू उपाय (Home Remedies):
1) छाछ में अजवाइन, काला नमक डालकर रोज पिएँ।
2) गुनगुने पानी में बैठकर सेंधा नमक डालकर बैठें (sitz bath) – सूजन और दर्द कम करता है।
3) एलोवेरा जेल मस्सों पर लगाने से आराम मिलता है।
4) अंजीर (figs) को रात में भिगोकर सुबह खाएं – कब्ज दूर करता है।
✅ सावधानियाँ:
कब्ज बिल्कुल न होने दें।
ज्यादा मसालेदार, गरिष्ठ भोजन और तली चीज़ों से बचें।
पर्याप्त पानी पिएं (दिन में 2.5-3 लीटर)।
रोज हल्का व्यायाम करें – खासकर वज्रासन और मलासन।
अगर मुळव्याध पुरानी और बहुत अधिक तकलीफ दे रही हो, तो आयुर्वेदिक कषाय (काढ़ा), बस्ती (आयुर्वेदिक एनिमा), या क्षारसूत्र चिकित्सा भी अपनाई जा सकती है – लेकिन ये विशेषज्ञ की देखरेख में होनी चाहिए ।
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