बँक एक ग्राहक अनेक - सिहोरा परिसर के हज़ारों नागरिक त्रस्त



          सिहोरा की शाखा, बँक ऑफ इंडिया


सिहोरा:-  तहसील के ग्राम सिहोरा मे राष्ट्रीयकृत  एक ही बँक होने के कारण सिहोरा के साथ साथ परिसर के काफी नागरिक परेशान दिखायी दे रहे हैं.  सरकार द्वारा समाज के अंतिम स्तर  पर बसे ग्राम के व्यक्ति को अर्थिंक रूप से मजबूत करने की कोशिश बँक द्वारा विविध योजनाये चलाकर की जा रही है.  बैंकों के व्यवहारों से दूरू रहने वाले नागरिकों को बैंक व्यवहार

करने के लिये सरकार

प्रोत्साहित करती दिखायी दे रही है.  


लेकिन सिहोरा परिसर के

35 गांवों के नागरिकों के

सामने आर्थिक व्यवहार

करने के लिये एकमात्र

राष्ट्रीयकृत बैंक के रूप

में सिहोरा मे बैंक ऑफ इंडिया 

एकमात्र विकल्प है.  इस

कारण नागरिकों को बैंक

में व्यवहार के लिये अपना

कीमती समय देना पड़ रहा है.  सुबह का आया ग्राहक शाम तक बँक मे अपना समय व्यर्थ गमाते दिखायी दे रहा है.  

बँक के काम इतने फास्ट होना की ग्राहक जब भी आये उसका काम मिनटो मे हो.  

किंतु इस बँक मे हमेशा बड़े को प्राधान्य और कम आय वाले घंटों तक लाइन में खड़े रहकर मेरा आयेगा, मेरा आयेगा करके ताकते रहते दिखायी देते हैं.  


 इस कारण ग्राम सिहोरा में दूसरी राष्टीयकृत बँक के लिये नागरिक व खातेदार  मांग कर रहे है.


 ग्राम सिहोरा की जनसंख्या 10 हजार होकर राष्ट्रीयकृत बैंक के रूप में बैंक ऑफ इंडिया एकमात्र

बैंक शाखा कार्यरत है.  परिसर के लगभग 35 गांवों के किसान व नागरिकों के व्यवहार के लिये यही बैंक है. 




बँक के कारोभार के लिये है कम जगह 



 बैंक के कारोबार के लिये कम जगह होकर अनेक वर्ष से यह किराये की इमारत में काम चल रहा है.  बैंक के ग्राहकों को बैठने की सुविधा, शौचालय, पार्किंग

व्यवस्था आदि विभिन्न समस्या होने से ग्राहकों को

परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है.   बैंक परिसर में

पार्किंग की व्यवस्था करना अनिवार्य है.  बैंक में पार्किंग व्यवस्था न होने से ग्राहकों को अपने वाहन तुमसर-बपेरा-बालाघाट आंतर राज्यीय मार्ग के बाजू में खड़ी करनी पड़ रही है.  इससे मार्ग पर ट्रॅफिक  समस्या निर्माण होते दिखायी दे रही हैं.  

 काफी वर्षों से बँक में सुविधा के

लिये नागरिकों ने जनप्रतिनिधियों से गुजारिश की थी. किंतु अभी तक समस्या  "जैसे थे " मे अटकी दिखायी दे रही हैं.  और इस ओर

 प्रशासन व जनप्रतिनिधि अनदेखी करते दिखायी दे रहे हैं.




संपादक चंद्रशेखर भोयर










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