रेंगेपार का पुनर्वसन अटका -- किसानों के सामने खड़ी है समस्या







सिहोरा:- तुमसर तहसील के बपेरा से वैनगंगा नदी तट

विस्तारित हुआ है.  नदी का तट विस्तारित होने से किसान भूमिहीन हो गए हैं.  इस

दौरान प्रशासन ने रेंगेपार के कुछ घरों का पुनर्वसन किया.  पर किसानों को 87 हेक्टेयर आर सिंचाई युक्त खेती नदी में

समा गई है.  इ्ससे किसानों के जीवन यापन का सवाल निर्माण हो गया है.  वैनगंगा नदी तट में कई कुएं भी समा गए हैं.  अब

भूमिहीन किसानों का पुनर्वसन कब होगा यह सवाल सामने आ रहा है.  

वैनगंगा नदी को तुमसर तहसील के सिहोरा क्षेत्र के बपेरा गांव में  

बावनथडी नदी मिलती है.  इस वैनगंगा नदी का तट गत 22 वर्षों से विस्तारित किया जा रहा है.  इससे नदी तट पर स्थित बपेरा,

सुकली नकुल, देवरीदेव,

पिपरीचुन्नी, वांगी, मांडवी, परसवाडा, रेंगेपार, पांजरा, तामसवाडी, उमरवाडा,

बोरी, कोष्टी व बाह्मणी इन गांवों की सीमा खतरे में आ चुकी है. नदी तट पर बसे किसानों की खेती प्रतिवर्ष कम हो रही है.  नदी में आनेवाली बढ़ का पानी गांव में समाता जा रहा है. 

साथ ही कम ऊंचाई वाले पुल पानी के नीचे आकर बपेरा क्षेत्र के 

गोंडीटोला, परसवाडा, सिलेगाव, वांगी आदि गाव की यातायात ठप हो जाती है.  इससे सैकड़ों

गावों का संपर्क टूट जाता है.  नदी तट के विस्तार से कई समस्याएं गंभीर रूप ले रही है.  कई किसानों की खेती कम हो गई है.

जिन किसानों ने कुओं का निर्माण  कर्ज लेकर किया था.  उनके कुएं नदी में समा चुके हैं.  ऐसे में किसानों के सामने परिवार के

पालनपोषण की समस्या निर्माण हुई है.  बपेरा गांव पुनर्वसित है. गांव के 294 में से 125 मकानों का पुनर्वंसन किया गया.  बाकी बचे पुनर्वसन की फाइल धूल खा रही है.  इस पर जनप्रतिनिधि चर्चा करने के लिए भी तैयार नहीं है.  किसानों का पुनर्वसन

करने को लेकर शासन के पास कोई योजना फिलहाल नहीं है.  बाढ़ की आपदा से किसान संकट

में होकर पूनर्वसन की जरूरत आ पड़ी है.  रेंगेपार गांव का अंशतः पुनर्वसन हुआ है.  इस गांव

के कुछ मकान नदी में डुबने की कगार पर पहुंच चुके हैं.  जिलाधिकारी, विभागीय

आयुक्त कार्यालय के पश्चात यह प्रकरण मंत्रालय में गया था.  लेकिन आपसी की लड़ाई के चलते पुनर्वसन एक बार फिर

लटक गया है.  वहीं कुछ परिवारों को शासकीय योजना से घरकुल दिया गया है.  ये परिवार नई बस्ती में निवास कर रहे हैं.




उपाययोजना नहीं हुई अनेक परिवारों की दो एकड़ तक खेती नदी तट में बह गई है.  वहीं अनेक किसानों की खेती बहने के मार्ग पर हैं.  लेकिन किसी

तरह की उपाययेजना नहीं हुयी है.


------- रुपाबाई  खंगार,

भूमिहीन किसान, बपेरा.






संपादक चंद्रशेखर भोयर






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