आधारभूत धान खरेदी केंद्रो पर दलालो को प्राथमिकता
संग्रहित छाया चित्र
किसानों से भेदभाव
सिहोरा :- सुजलाम् सुफलाम् समझने वाले, भारत की सोने की चिड़िया आज मात्र कागजो पर ही दिखाई दे रही है. भंडारा जिला चावल के लिये प्रसिद्ध माना जाता है. इस जिले में किसानी ज्यादा मात्रा में की जाती हैं. बारिश के मौशम मे ली जाने वाली फसल ज्यादातर किसान घर में खाने के लिये भी इस्तमाल करते दिखाई देते हैं.
आज बढ़ती महगाई आसमान छूते दिखाई दे रही है. किसानों को समय पर धान के व्यापारी ही कम दाम मे धान खरेदी करके मदत करते दिखाई दे रहे हैं.
बताया जाता है कि तुमसर तहसील में पहले तीन ही आधारभूत धान खरेदी केंद्र की सुरुवात की जाने की हवा चली. उस हिसाब से केंद्र पर अनुमति दी गई. और संबंधित क्षेत्र के किसानों ने अपने अपने क्षेत्र में जाकर सात बारा ऑनलाईन किये थे. परंतु कुछ दिन बाद किसानों को परेशानी ना हो करके बाकी केंद्र चालू कर दिये गये.
उससे किसानों ने अपने सात बारा वापस लेकर अपने क्षेत्र के पास वाले केंद्र पर देना चालू किये.
परंतु मिली जानकारी नुसार इन केंद्रो पर किसानों के साथ भेद भाव करके, अपने खास व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाने की चर्चा चल रही हैं.
ग्रामीण क्षेत्र में काफी देरी से आधारभूत धान खरेदी केंद्र की सुरुवात होने से धान खरेदी खाजगी व्यापारीयों ने गाव गाव जाकर कम दाम पर धान खरीद लिये.
मिली जानकारी के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में धान व्यापारीयों ने सात बारा किसानों से लेकर और उनके ही धान खरेदी करवाकर घर में भर कर रखे और फिर उसी धान को किसानों के सात बारा पर देकर लाखों की कमाई करने की चर्चा चल रही है. केंद्र पर किसानों के साथ गलत व्यवहार करके दमछाक करने की घटनाये सामने आ रही है.
केंद्र चालको द्वारा किसानों को... तुने वहा से क्यो वापस लाया?, हमने बुलाये क्या? हम तेरे नौकर है क्या? ऐसे काफी सारे झटके किसानों को सहना पड़ रहा है.
मतलब किसानों की हर जगह छेड़खानी, लूटमार, फसवेगिरी अभी भी चलते दिखाई दे रही हैं.
केंद्र चालको की मनमानी पर रोक लगाई नही गयी तो वादविवाद, झगड़े, अशांती बढ़ने की आशंकाये दिखाई दे रही है.
व्यापारी हो रहे मालामाल
तहसील मे काफी दिनों से धान की हेराफेरि सामने आ रही है. किसानों से कम दाम पर लेकर उन्ही के सात बारा पर आधारभूत धान खरेदी केंद्र पर धान बेचने की परंपरा चलती रहने से क्षेत्र के धान व्यापारी आधार भूत धान खरेदी केंद्र के बदौलत मालामाल होते दिखाई दे रहे है.
संपादक चंद्रशेखर भोयर
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